MAHARASTRA KE ASTITVHIN DHANGAR (DHANGAR BOOK) - atomic habit | the sectret | ikigai | you can win | maratha | dhangar | marathi book(Paperback, DR. JP BAGHEL) | Zipri.in
MAHARASTRA KE ASTITVHIN DHANGAR (DHANGAR BOOK)  - atomic habit | the sectret | ikigai | you can win | maratha | dhangar | marathi book(Paperback, DR. JP BAGHEL)

MAHARASTRA KE ASTITVHIN DHANGAR (DHANGAR BOOK) - atomic habit | the sectret | ikigai | you can win | maratha | dhangar | marathi book(Paperback, DR. JP BAGHEL)

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सभ्यता की दौड़ में पीछे रह गए और नीची जाति घोषित कर दिए गए हाशिए के जाति समूहों में हीन भावना सर्वत्र देखी जाती है। महाराष्ट्र का घुमंतू (नोमेडिक) जाति समूह उन्हीं में से एक है। हीन बता देना, हीन समझ लेना एक पक्ष है। धन, बल, बुद्धि, शिक्षा, ज्ञान, एकता तथा अवसर की हीनता भी समझ में आती है। लेकिन अस्तित्वहीनता का क्या किया जाए?भारत में अनुसूचित जनजाति की लिस्ट में एक नाम धनगड जोड़ा गया जो लिस्ट में जोड़े जाने के समय तक अस्तित्वहीन था, इसका कहीं कोई नामोनिशान नहीं था। यूपी की अनुसूचित जाति की लिस्ट में धनगर नाम था। भारत सरकार ने धांगर को सितंबर 1993 में महाराष्ट्र की ओबीसी लिस्ट में शामिल किया। यूपी की लिस्ट वाले धनगर को धंगड़ बताने के प्रयास हो रहे हैं। जो अस्तित्व में है उसे सरकारों द्वारा अस्तित्वहीन बनाया गया है व बनाया जा रहा है। भारत के लगभग १४ राज्यों में धनगरों के साथ यह खेल हुआ है। छह-सात दशकों से यही हो रहा है।धनगर है लेकिन नहीं है। अर्थात अस्तित्वहीन है। अपने अस्तित्व की लड़ाई को कौन लड़ेगा? अस्तित्व सिद्ध करना पड़ता है। यह बात भी सच है कि महाराष्ट्र का धनगर समाज पिछले ६६ वर्षों में अपना अस्तित्व सिद्ध नहीं कर पाया है। इस पुस्तिका में इसी अस्तित्व हीनता की चर्चा की गई है।